पर्युषण पर्व
पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं। श्वेताम्बर संप्रदाय के पर्यूषण 8 दिन चलते हैं। 8 वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी महापर्व मनाया जाता है। इस दिन यथा शक्ति उपवास रखा जाता है। पर्यूषण पर्व की समाप्ति पर क्षमायाचना पर्व मनाया जाता है। उसके बाद दिगंबर संप्रदाय वाले 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं जिसे वो 'दशलक्षण धर्म' के नाम से संबोधित करते हैं।
जैन धर्म के दस लक्षण इस प्रकार है:-
1) उत्तम क्षमा, 2) उत्तम मार्दव, 3) उत्तम आर्जव, 4) उत्तम शौच, 5) उत्तम सत्य, 6) उत्तम संयम, 7) उत्तम तप,
8 ) उत्तम त्याग, 9) उत्तम अकिंचन्य, 10) उत्तम ब्रहमचर्य।
कहते हैं जो इन दस लक्षणों का अच्छी तरह से पालन कर ले उसे इस संसार से मुक्ति मिल सकती है। पर सांसारिक जीवन का निर्वाह करने में हर समय इन नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता है और बहुत शुभ और अशुभ कर्मों का बन्ध हो जाता है। इन कर्मो का प्रक्षालन करने के लिए श्रावक उत्तम क्षमा आदि धर्मों का पालन करते है।
इन दस लक्षणों का पालन करने हेतु जैन धर्म में साल में तीन बार दशलक्षण पर्व मनाया जाता है।
1) चैत्र शुक्ल ५ से १४ तक
2) भाद्र शुक्ल ५ से १४ तक और
3) माघ शुक्ल ५ से १४ तक।
श्वेतांबर जैन का पर्युषण पर्व 2023 (Shwetambar Jain Paryushan Parv 2023)
जैन धर्म में दो पंथ है श्वेतांबर और दिगंबर जैन. श्वेतांबर जैन पंथ के लोग 12 सितंबर 2023 से शुरू होगें. जिसका समापन 19 सितंबर 2023 को होगा. श्वेतांबर जैन धर्म के लोग 8 दिन पर्युषण पर्व मनाते हैं.
दिगंबर जैन का पर्यषण पर्व 2023 (Digambar Jain Paryushan Parv 2023)
दिगंबर जैन का पर्युषण पर्व 10 दिन चलता है. इसकी शुरुआत 19 सितंबर 2023 को होगी और 29 सितंबर 2023 को इसका समापन होगा।
पर्युषण पर्व का महत्व (Paryushan Parv Significance)
जैन धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा हैं. इन दस दिनों में लोग व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वंय के पापों की आलोचन करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है. भगवान महावीर के जीवन काल से प्रभावित होकर पर्युषण पर्व को मनाया जाने लगा। माना जाता है जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व कहा गया था. यह हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है।
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